Thursday, September 22, 2022

संकेत की भाषा

 Published/Copyrighted:https://sahityakunj.net/entries/view/sanket-ki-bhasha

 पृष्ठभूमि:  "True poetry is for the listener." (असली काव्य सुनने वाले के लिए होता है) - Freddie Mercury 

My new creation on World's Sign Language Day 

संकेत की भाषा

कौन हो तुम?
मैं वह हूँ जिस पर ईश्वर ने
विशेष की मोहर लगाई थी,
कर्णावर्त तंत्रिका जन्मजात
विकसित नहीं हो पाई थी।   
मेरे जन्म पर यह जान मेरी माँ
फूट फूट कर रोई थी,
ग्लानि मे कितनी रातें
एक झपकी भी नहीं सोई थी

फिर तुम कौन सी भाषा
बोलते हो और सुनते हो?
और कौन सी भाषा में
भविष्य के सपने बुनते हो?

यह ऐसी भाषा है जिसे
आम व्यक्ति शायद ही सुन सकता है। 
क्योंकि इस भाषा को सुनने के लिए
कान की नहीं ध्यान की आवश्यकता है
हाँ, वही ध्यान जो -
दुनिया से लेने के लिए 
आपने सारे कैमरों को स्वयं की ओर मोड़ लिया है,
आत्मलीनता आत्मजुनूनी के दौर में 
आपने इसे दूसरों की ओर देना ही छोड़ दिया है

जब मुझसे कोई कुछ कहता है
मैं उस क्षण में उपस्थित रहता हूँ, 
बात को दोहराने को कभी नहीं कहता हूँ   
वक्ता की भावनाओं के अंदर तक झांकता हूँ,
अर्जुन का लक्ष्य समझ उस फ़ोन को नहीं ताकता हूँ   

जब मैं किसी से परिचय करता हूँ
उन्हें जानने के लिए 
स्वयं का पूरा अवधान संचय करता हूँ   
नाम पूछता हूँ याद रखने के लिए
ना केवल औपचार प्रकट करने के लिए 
हाल-चाल पूछता हूँ हृदयव्यथा घेरने के लिए 
ना कि उत्तर सुने बिना ही मुँह फेरने के लिए 

भविष्य का सपना विशेष तो नही
पर है श्रवणीय - 
नवाचार के अवसर को नई परिभाषा दिलाने का,  
हाव भाव पढ़ने की शैली को दुनिया को सिखाने का, 
भूली बिसरी सुनने की कला को फिर वापिस लाने का  

पर भूल कर भी मुझे भिन्न ना समझना! 
आखिर हूँ कृष्ण का ही रूप,
अतिबुद्ध उपदेशक हूं,
पर हूँ मोहक नटखट भी,
बहुत मज़ा आता है मुझे शोर मचाने में, 
ईश्वर ही जाने क्यों रोई थी माँ
मैं तो मदमस्त हूँ व्यस्त हूँ इतिहास रचाने में  

प्रवाह के विपरीत तैरते हुए 
धाराप्रवाह आती मुझे,
यह उंगली सञ्चालन से बनी 
दुनिया की सबसे अभिव्यंजक भाषा। 
माँ को गदगद कर गर्व से भरकर
ख़ुशी के आंसू देने की आशा,
मातृभाषा से ऊंचा स्थान रखती
मेरी यह संकेत की भाषा।  

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