Published/Copyrighted:https://sahityakunj.net/entries/view/sanket-ki-bhasha
पृष्ठभूमि: "True poetry is for the listener." (असली काव्य सुनने वाले के लिए होता है) - Freddie Mercury
My new creation on World's Sign Language Day
संकेत की भाषा
कौन हो तुम?
मैं वह हूँ जिस पर ईश्वर ने
विशेष की मोहर लगाई थी,
कर्णावर्त तंत्रिका जन्मजात
विकसित नहीं हो पाई थी।
मेरे जन्म पर यह जान मेरी माँ
फूट फूट कर रोई थी,
ग्लानि मे कितनी रातें
एक झपकी भी नहीं सोई थी।
फिर तुम कौन सी भाषा
बोलते हो और सुनते हो?
और कौन सी भाषा में
भविष्य के सपने बुनते हो?
यह ऐसी भाषा है जिसे
आम व्यक्ति शायद ही सुन सकता है।
क्योंकि इस भाषा को सुनने के लिए
कान की नहीं ध्यान की आवश्यकता है।
हाँ, वही ध्यान जो -
दुनिया से लेने के लिए
आपने सारे कैमरों को स्वयं की ओर मोड़ लिया है,
आत्मलीनता आत्मजुनूनी के दौर में
आपने इसे दूसरों की ओर देना ही छोड़ दिया है।
मैं उस क्षण में उपस्थित रहता हूँ,
बात को दोहराने को कभी नहीं कहता हूँ।
वक्ता की भावनाओं के अंदर तक झांकता हूँ,
अर्जुन का लक्ष्य समझ उस फ़ोन को नहीं ताकता हूँ।
स्वयं का पूरा अवधान संचय करता हूँ।
पर है श्रवणीय -
पर हूँ मोहक नटखट भी,
मेरी यह संकेत की भाषा।
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